अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
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चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय Shiv chaisa शिव…॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा
संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।
Whosoever delivers incense, Prasad and performs arati to Lord Shiva, with enjoy and devotion, enjoys material joy and spiritual bliss In this particular earth and hereafter ascends towards the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva taken off the suffering of all and grants them Everlasting bliss.
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
जय shiv chalisa lyricsl जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥